देश की सरकार शिक्षा व्यवस्था को नष्ट करने पर आमादा : डॉ.अनिल

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प्रेस से मिलिए कार्यक्रम

उदयपुर, ’’पिछले दो दशकों से केन्द्रीय और राज्य सरकारों द्वारा देश की सार्वजनिक शिक्षा व्यवस्था को नष्ट करने तथा उसको कॉरपोरेट पंूजी के हित में बिकाऊ माल और मुनाप*ाखोरी का जरिया बनाने की नीति लागू की जा रही है।’’ यह विचार शनिवार को यहां लेकसिटी प्रेस क्लब में आयोजित ’’प्रेस से मिलिए’’ कार्यक्रम में अखिल भारत शिक्षा अधिकार मंच के अध्यक्ष प्रो.अनिल सदगोपाल ने व्यत्त* किए। उन्होंने कहा कि सरकार की यह नीति एक ओर तो भारतीय संविधान के सिद्घान्तों और मूल्यों का उल्लघंन कर रही है और दूसरी ओर विश्व बैंक और विश्व व्यापार संगठन -गैट्स के एजेन्डे को आगे ब$ढा रही है। डॉ.अनिल ने कहाकि शिक्षा के बेलगाम मंहगी होने से उसमें गैर बराबरी ओर भेदभाव बढ रहा है। जो संविधान के अनुच्छेद १४ व १५ के विरूद्घ है। इस प्रकार की व्यवस्था से दलित, आदिवासी, पिछडे वर्ग एवं मुस्लिम समाज के बच्चे और युवा जो देश की ८० प्रतिशत जनता है स्कूली एवं उच्च शिक्षा दोनो से वंचित रह जाएंगे।

डॉ.अनिल ने कहा कि पाठयचर्चा (करीमुलम) में निहित ज्ञान का मकसद सामाजिक विकास करने की बजाय दुनिया के बाजार के लिए गुलाम कामगारो की प*ौज खडा करना हो गया है जो कार्पोरेट पूंजी के अबाध,लालच लूट और मुनाप*ाखोरी का जरिया बन रहे है। उन्होंने कहा कि शिक्षा अधिकार मंच विगत ३ वर्षो से इन नीतियों के विरूद्घ अभियान चला रहा है जिसका मुख्य उदेश्य शिक्षा में हर प्रकार के व्यापार को बंद कराना तथा ’के.जी. से पी.सी.’ तक सभी को मुप*त एवं गुणवत्ता पूर्ण गांरटी दिलाना है।

 

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