दशामाता तथा गणगौर पुस्तक लोकार्पित

Date:

उदयपुर, दशामाता तथा गणगौर भारतीय जीवनपद्धति के मूलाधार त्यौहारोत्सव हैं जिनका प्रारंभ होली के दूसरे दिन से ही हो जाता है। इसी को लक्ष्य में रखकर राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष वेद व्यास ने दशामाता तथा गणगौर नामक दो पुस्तकों का लोकार्पण किया। इनमें से दशामाता व्रत डॉ. कविता मेहता तथा गणगौर व्रत डॉ. महेन्द्र भानावत द्वारा तैयार की गई हैं। इनमें व्रत कथाओं के साथ गाए जाने वाले लोकगीतों का सरस समावेश किया गया है। वेद व्यास ने कहा कि अपने गृहस्थ जीवन को सुखी, समृद्धिमूलक और सम्पन्न बनाए रखने के लिए महिलाएं वर्ष भर ही कोई न कोई व्रत, अनुष्ठान एवं संस्कार करती रहती हैं किंतु दशामाता एवं गणगौर में उनकी समग्रता झलकती है।

लोककलाविज्ञ डॉ. महेन्द्र भानावत ने कहा कि वैश्विकरण के बढ़ते प्रभाव ने भारत की समृद्ध परंपरा और विरासत को झकझोर दिया है। ऐसे में शिक्षा और रोजगार की तलाश ने युवक-युवतियां भारतीयता की अस्मिता और कलाचैतन्य को विस्मृत करती जा रही हैं। ऐसे प्रकाशन उन्हें अपनी निजता से जोडऩे और पुन: भारतीयता की ओर लौटने का रंग-रस देते हैं। इनके द्वारा महिलाएं यह भी जान सकेंगी कि उनके पास जो कलात्मक धरोहर है, वह कितनी उपयोगी, मूल्यवान और आधुनिकता में बने रहने के लिए आवश्यक है।

साहित्यकार डॉ. श्रीकृष्ण ‘जुगनू’ ने कहा कि ऐसी पुस्तिकाओं का न केवल शहरों में अपितु ठेठ गांवों तक में प्रसार होना जरूरी है। कारण कि देहातों की कला संस्कृति अभी भी अपने ठेठपन में बरकरार है। कहीं ऐसा न हो कि आधुनिकता की चकाचौंध में हम अपनी ही धरती और उसकी धडक़न को छोड़ पराए सत्व और सुगंध में इतराते नजर आएं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Онлайн Казино Вавада Играть На приличные На Официальном Сайте Vavada

8 самых Сайтов Онлайн-слотов и Реальные Деньги сентябрь 2024...

As Melhores Caça-níqueis E Apostas Esportivas Por Dinheiro Real

Download Pin Up Brasil️ Internet Casinos App A Brand...

Unleash your wildest dreams with taboo sex chat

Unleash your wildest dreams with taboo sex chatTaboo sex...