-परिजनों के सौभाग्य से बच गए बाबेल, पहले भी एक कर्मचारी को आया अटैक, दूसरे ने छत से कूदकर किया आत्महत्या का प्रयास
उदयपुर। नगर निगम के एक्सईएन समरथसिंह बाबेल महाराणा भूपाल चिकित्सालय के आईसीयू मेें अब खतरे से बाहर है। श्री बाबेल ने कथित रूप से आत्महत्या के लिए दोनों हाथों की कलाइयां काट ली थी, लेकिन परिवार वालों के सौभाग्य से बच गए।
बताया गया है कि श्री बाबेल पर गलत काम करने के लिए लगातार दबाव डाला जा रहा था, जिससे परेशान होकर उन्होंने आत्महत्या का प्रयास किया। इससे पहले बाबेल ने एक सुसाइड नोट में सारा वृतांत लिखकर आत्महत्या करने की मजबूरी बताई। यह पत्र पुलिस ने बरामद किया लेकिन उसे रिकार्ड पर लेने से पहले ही कुछ लोगों ने इसे लेकर फाड़ दिया। इसके बाद इस नोट के स्थान पर दूसरा कागज रखवा दिया गया। अब सारे मामले को दुर्घटना का रूप देने की कोशिश की जा रही है।
पता चला है कि श्री बाबेल के बयान भी अब बदलवा दिए गए हैं। उल्लेखनीय है कि इसी तरह गलत काम करने का दबाव डालने से पिछले वर्षों में उमेश दांत्या को तनाव के कारण ऑफिस में ही हार्ट अटैक हुआ और महेश गोयर ने छत से कूदकर जान देने का प्रयास किया था। बताया गया है कि निगम में प्रतिनिधि गिरोहबद्ध होकर काम कर रहे हैं, जिनसे अधिकारियों और कर्मचारियों में खौफ का माहौल बना हुआ है। समरथ सिंह बाबेल के मामले को अब सत्ता पक्ष के पार्षद, महापौर और पुलिस साथ मिलकर एक्सीडेंट का रूप दे रहे है। घटना कल दिन की है, दूध तलाई क्षेत्र में नगर निगम के एक्सईएन समरथ सिंह बाबेल घायल व लहूलुहान अवस्था में पड़े मिले। उनकी हाथ की दोनों कलाइयां कटी हुई थी, जिनको बाद में महाराणा भूपाल चिकित्सालय पहुंचाया गया। डॉक्टरों का कहना है की हाथ की कलाइयां देख कर लगता है कि आत्महत्या की कोशिश की गई है।
सुसाइड नोट दो लाइन में बदला : सूत्रों के अनुसार समरथ सिंह बाबेल ने जब आत्महत्या की कोशिश की तब उनके जेब में सुसाइड नोट भी था, जिसमें उन्होंने कोलपोल में बन रहे अवैध नाले का जिक्र किया था। अब पुलिस बता रही है कि उनकी डायरी में सिर्फ दो लाइनें लिखी थी, जिसमें आत्महत्या खुद करना कुबूला तथा इसमें किसी का हाथ नहीं होना लिखा है।
नाले को लेकर थे परेशान : कोलपोल में बनने वाला नाला तकनीकी रूप से सही नहीं था, जिसको समरथसिंह बाबेल ने अपनी देख-रेख में बनाने से मना कर दिया था, उनका कहना था कि नाला बनाने के बाद अगर कोई बात हुई, तो मैं ही फंसूंगा। इस बात को लेकर उन्हें काफी प्रताडि़त कर रखा था। इससे पूर्व भी उनके साथ दुव्यवहार किया जाता रहा। लेकिन बाद में कुछ अधिक हो गया। बताया जा रहा है कि उनसे निगम द्वारा दिया गया वाहन और सारे अधिकार भी छीन लिए गए। एक्सईएन होते हुए भी उनसे व्यवहार एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी जैसा हो रहा था। बाबेल चार महीनों बाद सेवा निवृत होने वाले थे और उनके व्यवहार को लेकर निगम का हर कर्मचारी उनकी तारीफ करता है।
वर्जन…
:निगम में ऐसा कोई कारण नहीं है कि वह आत्महत्या करें। यहां उनका व्यवहार अच्छा था। सत्ता पक्ष की तरफ से उन्हें कभी प्रताडि़त नहीं किया गया। छोटे-मोटे कामों की वजह से कुछ टेंशन हो सकती है, जो रूटीन है। लेकिन ऐसा कोई बड़ा कारण नजर नहीं आता।
– रजनी डांगी, महापौर
: नगर निगम में अफसरों पर दबाव बनाकर अवैध काम करवाए जा रहे हैं, जो अफसर अवैध काम से इनकार कर देता है, उसको प्रताडि़त किया जाता है। समरथसिंह बाबेल से मिलकर सभी विपक्ष के पार्षद इस तरह के कृत्य के खिलाफ आवाज उठाएंगे।
-दिनेश श्रीमाली, नेता प्रतिपक्ष
: समरथसिंह बाबेल एक भला आदमी है, जिससे सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि अवैध काम करवाना चाहते थे। मना करने पर उन्हें अपमानित किया गया। और यह परिपाटी काफी समय से चली आ रही है। पूर्व में भी कई अफसरों और कर्मचारियों को प्रताडि़त किया जा चुका है, जिन्होंने आत्महत्या की कोशिश की और इस्तीफा भी दे दिया।
– अजय पोरवाल, कांग्रेसी पार्षद
:मुझे नहीं लगता की नाले की बात को लेकर वह कोई दबाव में थे। उनके साथ कोई दुर्घटना हुई होगी, जिसकी पुलिस जांच चल रही है। निगम में उनसे कभी दुव्र्यव्हार नहीं हुआ।
– प्रेमसिंह शक्तावत, अध्यक्ष, निर्माण समिति
: समरथसिंह बाबेल को घायल अवस्था में अस्पताल लाया गया, उन्होंने अपने साथ दुर्घटना होने का बयान दिया है। जेब में दो लाइन का सुसाइट नोट मिला है, मामले की जांच की जा रही है।
-दुर्गाराम, थानाधिकारी घंटाघर