उदयपुर, । झीलों की सफाई से अपना पल्ला झाडते हुए नगर परिष्ज्ञद ने सफाई से साफ इंकार कर दिय तथा नगर परिषद सभापति ने नगर विकास प्रन्यास के माध्यम से झीलों की सफाई कराने के लिये संभागीय आयुक्त को पत्र लिखा तथा नगर परिषद की ओर से १० लाख रूपये देने की पेशश की।
पिछली बोर्ड की मीटिंग में झीलों की सफाई का जिम्मा नगर परिषद का हो उस एमओयु को सदन द्वारा नकार दिया गया था। उसी संबंध में सोमवार को नगर परिषद सभापति ने संभागीय आयुक्त को पत्र लिखा जिसमें कहा कि झीलों की सफाई का जिम्मा नगर परिषद का नहीं नगर विकास प्रन्यास का है। डेढ वर्ष पूर्व जब झीलों की स्थिति बहुत ज्यादा खराब थी तब परिषद ने यह कार्य टेण्डर कर करवाया था व झीलों से जलकुंभी व गंदगी निकाली गई थी लेकिन सफाई के दौरान कतिपय अधिकारियों, लोगों व संगठनों ने परेशान किया। स्थिति यह हो गई कि ठेकेदार काम छोडकर चले गये जिन्हें समझा बुझाकर कार्य करवाया गया। योजना के तहत करोडो रूपये नगर परिषद को दिये जाने के आरोप प्रत्यारोप लगाये गये जो उचित नहीं थे।
पत्र में सभापति ने झीलों की सफाई में नगर परिषद के योगदान में असमर्थता जाहिरक रते हुए कहा कि कोई ठैकेदार काम करने का इच्छुक नहीं है और बिना टेण्डर सफाई कराना असंभव है। सभापति ने यह भी लिखा कि आपके द्वारा तैयार किया गया एमओयु सभी सदस्यों द्वारा नकार दिया गया तथा झीलों की सफाई का स्वामित्व सिंचाई विभाग का है व सफाई का जिम्मा नगर विकास प्रन्यास का और सफाई हमेश प्रन्यास करता आया है। अत: आगे भी उसी को यह जिम्मेदारी सौंपी जाये। नगर परिषद के माध्यम से झीलों की सफाई संभव नहीं है। हां बतौर सहयोग राशि नगर परिषद १० लाख रूपये देने को तैयार है।
Why to care about Lakes….. it is of no use for the developers…. neither giving big revenues….. of course, care will be taken in future when the lake will get empty and land will be available for sale…..