झंडे के झगड़े में फिर नया विवाद – डीएसपी व थानाधिकारी परआदिवासी युवती से मारपीट का आरोप

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आदिवासी हिन्दू है या नहीं आदिवासी की आस्था के केंद्रों पर भगवा झंडे लगाने और उतारने के विवाद होते जा रहे है। जयपुर के आमागढ़ के बाद उदयपुर में रेती स्टेण्ड पर आदिवासी दिवस पर भीलू राणा की प्रतिमा पर भाजपा दवारा भगवा झंडा लगाने को लेकर विवाद हुआ।  अब ये विवाद नया मोड़ ले रहा है।  भास्कर में छापी खबर के अनुसार
घटना के दूसरे दिन मंगलवार को अखिल भारतीय आदिवासी महासभा ने डीएसपी राजीव जोशी और हिरणमगरी थानाधिकारी रामसुमेर पर आदिवासी युवती से मारपीट के आरोप लगाए। इसे लेकर महासभा के नेतृत्व में आदिवासी और बहुजन संगठनों ने एडीएम (प्रशासन) ओपी बुनकर और आईजी सत्यवीर सिंह को ज्ञापन सौंपा।
महासभा के प्रदेशाध्यक्ष घनश्याम सिंह तावड़ ने कहा कि थानाधिकारी ने विवाद के दौरान भीलू राणा सर्कल से गुजर रही आदिवासी युवती का हाथ पकड़ कर डंडे मारे। डीएसपी राजीव जोशी ने युवती के प्राइवेट पार्ट पर लातें मारीं। तावड़ ने इसे अश्लीलता भी बताते हुए दोनों अधिकारियों को बर्खास्त करने की मांग की। इधर, आदिवासी क्रांति मंच के प्रदेश महासचिव बाबूलाल कलासुआ ने पुलिस अधिकारियों को तत्काल रेंज से बाहर भेजने की मांग की। आरोप लगाया कि ये अधिकारी दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ काम कर रहे हैं। राष्ट्रीय अत्याचार निवारण फोर्स के प्रदेशाध्यक्ष बाबूलाल घावरी ने भी पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार करने की मांग की। डॉ. अम्बेडकर मेमोरियल वेलफेयर सोसायटी के जिला महासचिव पीआर सालवी, भीम आर्मी के महासचिव कन्हैयालाल डामोर, बीटीपी के कल्याण खराड़ी, नरेंद्र गमेती, प्रकाश पारगी सहित आदिवासी व बहुजन कार्यकर्ता मौजूद थे।


सवाल ये भी खडा होता है कि ये शिकायत घटना वाले दिन ही क्यूँ नहीं की घटना के दुसरे दिन ये शिकायत क्यूँ की गयी।  इस सवाल के जवाब में  महासभा के प्रदेश अध्यक्ष तावड़ का कहना है कि यह सब विवाद खत्म होने के बाद देर शाम पता चला। यह भी सामने आया कि रेती स्टैंड पर मौजूद लोगों के साथ पुलिस अधिकारियों ने धक्कामुक्की की। उन्हें आवरी माता कॉलोनी तक खदेड़ा। जिसके बाद युवती से मारपीट की घटना हुई। युवती की ओर से सूचना मिलते ही हमारे सदस्य उसे वहां से लेकर आए। भाजपा के बाद पुलिस के विरोध पर तावड़ ने कहा कि ये पुलिस अधिकारी दलित आदिवासी और अल्पसंख्यक वर्ग को टारगेट कर उन पर गैर-कानूनी तौर पर लाठीचार्ज करते रहे। इन्हें बर्खास्त करें।
इस सारे मामले में पुलिस का जो बयान सामने आया है वो ये है कि रेती स्टैंड पर हुए पूरे घटनाक्रम का वीडियाे बनाया है। हर पहलू उसमें रिकॉर्ड है। पुलिस ने माहाैल बिगड़ने से राेका, इसलिए आराेप लगा रहे हैं। दाे पक्षाें का आपसी विवाद है, जिसमें पुलिस काे पार्टी बना रहे हैं। जिन डीएसपी राजीव जाेशी की बात कर रहे हैं, वे तो एडीएम सिटी और एएसपी सिटी के साथ घटना स्थल से कुछ दूर बैठे थे।
इस मामले में भाजपा के ग्रामीण विधायक फूल सिंह मीना का क्या कहना है वह भी सुन लीजिये
अगर आदिवासी युवती के साथ मारपीट हुई है तो यह मामला जांच का विषय है। लेकिन आरएसएस या भाजपा का इस घटनाक्रम कोई लेना-देना नहीं है। सारे आरोप बेबुनियाद हैं।
इधर मंगलवार को कुछ लोग जो आदिवासी है और भाजपा से जुड़े हुए है उन्होंने भगवा ध्वज को हटाने का विरोध करते हुए भगवा ध्वज वापस लगाए जाने की मांग का ज्ञापन सोंपा है।
कुल मिला कर विश्व आदिवासी दिवस तो जाने कहा रह गया आदिवासियों के उत्थान की दावे कही रह गए। और अब बात आगई है फिर से झंडे पर भगवा झंडे को लगाने और उतारने को लेकर। अलग अलग दो गुट है एक तरफ आदिवासी महासभा व्अन्य के नेता है तो दूसरी तरफ भाजपा से जुड़े नेता और कार्यकर्ता है और वो भी मीणा या आदिवासी समाज से है।

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