उदयपुर,श्रीश्री रविशंकर अपनी दो दिवसीय उदयपुर प्रवास के दौरान विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया तथा विभिन्न समाज के भक्तों से मिले सुबह १० बजे प्रिय दर्शनीय नगर में गणमान्य लोगों से मिले तथ बाद में ११ बजे से ११ में वल्लभाचार्य पार्क में सर्व ब्राह्मण समाज समिति द्वारा स्थापित भगवान परशुराम की अष्टधातु की प्रतिमा का अनावरण समारोह में भाग लिया। जहां उन्होंने कहा कि संस्कार पद्घति को प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए तथा विप्रजनों से आव्हान किया कि वे वेद व विज्ञान को साथ लेकर आगे बढे। समिति अध्यक्ष धर्मनारायण जोशी के अनुसार परशुराम की प्रतिमा ९ फिट की अष्टधातु से निर्मित ५०० किलो की ७ लाख रूपये से बनायी गयी है। जिसका व्यय समस्त ब्राह्मण जनों ने वहन किया है।
समारोह के पश्चात श्रीश्री से जेल गए और वहां बंदियों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज से बंदी नहीं और बंधु कहा जाये। कैदियों को अच्छे आचरण और अच्छे कार्य करने की सलाह दी। कैदियों ने श्रीश्री का पूरे जोश से स्वागत किया।
श्रीश्री रविशंकर ने बी.एन. कॉलेज ग्राउण्ड पर आयोजित ज्ञान-ध्यान-भजन की अनुपम संध्या में श्रद्घालुओं को आशीर्वाद प्रदान किया। इस दौरान कई भक्त उनके प्रवचन को सुन भाव-विभोर हो उठे और उनकी आंखों से आंसू छलक पडे।
सेवाश्रम चौराहा पर स्थित बी.एन. कॉलेज ग्राउण्ड पर आयोजित भक्ति संध्या में करीब ६ बजे से धार्मिक गीतों की प्रस्तुतियां होती रही। इसके पश्चात करीब ७ बजकर ५ मिनट पर श्री श्री रविशंकर आयोजन स्थल पर पहुंचे। कार्यक्रम स्थल पर पहुंचते ही सर्वप्रथम श्रीश्री रविशंकर ने स्टेज से करीब १५० फिट तक बने रेम्प पर चलकर भक्तों के बीच पहुंच उन्हें आशीर्वाद प्रदान किया। इस दौरान भक्तों द्वारा दी गई मालाएं गुरूजी ने ग्रहण की। कई भक्तों ने मेवाडी पगडी भी भेंट की। जिसे गुरूजी ने अपने सिर पर धारण कर ली। इसके पश्चात विभिन्न संगठनों द्वारा गुरूजी का सम्मान एवं अभिनंदन किया गया। श्रीनाथजी की नगरी नाथद्वारा से आए श्रीनाथजी के मुखिया नरहरि ठक्कर ने श्रीश्री रविशंकर को उपरणा ओढाकर प्रतिक चिन्ह भेंट किया। गुरूजी की एक झलक पाने को बेताब भक्तों ने आत्मीय ने श्रीश्री रविशंकर का स्वागत किया। इस दौरान कई भक्तों की आंखों से आंसू भी छलक पडे। गुरूजी ने स्टेज पर ही लगे झूले में बैठकर उनकी झलक पाने एवं उनका आशीर्वाद प्राप्त करने पहुंचे लोगों को आशीर्वाद प्रदान किया।