रांची। सीबीआई अदालत ने जैसे ही राजद प्रमुख लालू यादव को पांच साल कैद और 25 लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। राजद कार्यकर्ता मायूस हो गए। अदालत के इस फैसले से लालू के राजनीतिक करियर पर भी सवाल उठने लगे हैं। हालांकि वे इस फैसले को उच्च अदालत में चुनौती दे सकते हैं।
सजा के ऐलान के साथ ही लालू के राजनीतिक करियर की उल्टी गिनती भी शुरू हो गई। इसी कड़ी में सबसे पहले उनकी संसद सदस्यता समाप्त हो गई। उन्हें पांच साल जेल में बिताने होंगे अर्थात इस दौरान वे जनता के साथ ही पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से भी कट जाएंगे।
भले ही पार्टी यह दावा करें कि पार्टी लालू ही चलाएंगे पर प्रैक्टिकली यह संभव नहीं दिखता है। सजा काटकर लौटने के बाद भी उन्हें छह साल तक चुनावी राजनीति से दूर रहना होगा। उनके बगैर पार्टी की चुनौतियां और बढ़ जाएगी।
इस तरह 11 साल उनके राजनीतिक करियर में वनवास की तरह होंगे। 11 साल का वनवास और फिर भ्रष्टाचार का दाग उनके रास्ते में बड़ी बाधा उत्पन्न करेगा।
बिहार में पहले ही संघर्ष कर रही लालू की पार्टी अब नेतृत्वविहीन हो गई है। अब लालू की पत्नी राबड़ी के सामने सबसे बड़ी समस्या पार्टी को इतने लंबे समय तक एकजुट रखना है। अगर वह ऐसा करने में विफल रहीं तो लालू का राजनीतिक करियर ऐसे ही समाप्त हो जाएगा।