निर्माण संबंधी हालात की ली जानकारी
लोगों का आक्रोश फुटा
झील संरक्षण समिति के कार्यो का हुआ विरोध
उदयपुर, उदयपुर की झीलों के निर्माण निषेद्घ क्षेत्र की वास्तविक स्थिति का पता लगाने के लिए उच्च न्यायालय द्वारा नियुक्त कमिश्नर दिनेश मेहता ने रविवार को यहां पिछोला झील के आस पास क्षेत्रों का दौरा कर जानकारी प्राप्त की। इस दौरान मेहता के सामने प्रभावित लोगों ने आक्रोश व्यक्त किया।
प्रात: सर्किट हाउस में कमिश्नर से मिलने तथा उनसे समस्या समझने के लिए काफी संख्या में लोग एकत्र हो गये । नगर परिषद सभापति रजनी डांगी, पार्षद पारस सिघंवी, परिषद आयुक्त एस.एन.आचार्य, यूआईटी सेकेट्री व तहसीलदार तथा अन्य संबधित विभागों के अधिकारी भी सर्किट हाउस पहुंचे। जहां लोगों ने व जनप्रतिनिधियों ने कमिश्नर के सामने झील संरक्षण समिति के तेज राजदान व अनिल मेहता को भला बुरा कहा तथा आक्रोश व्यत्त* किया कि यह समिति अपने फायदे के लिए बडी बडी होटलों का निर्माण होने देती है लेकिन आम जनता के दो कमरों का मकान नहीं बनने देती। सर्किट हाउस से कमिश्नर जगदीश चौक, लाल घाट, नयी पुलिया, जाटवाडी, बिच्छुघाटी, घंटाघर आदी क्षेत्रों में घुमने तथा प्रभावशाली लोगों जो झील निषेध निर्माण क्षेत्र की वजह से निर्माण नहीं करवा पा रहे उनसे मिले व वस्तुस्थिति का जायजा लिया। जनप्रतिनिधि व लोगों का कहना था कि समस्या समाधान होना चाहिए निर्माण रोकना समस्या का समाधान नहीं है। और वेसे भी झील संरक्षण समिति द्वारा कोर्ट को गुमराह कर जहां निर्माण निषेध क्षेत्र नहीं होना चाहिए वहां भी निर्माण निषेध क्षेत्र करवा दिया । कमिश्नर सीवरेज व झील में गिरने वाले गंदे नालों का भी जायजा लिया। इस दौरान जनता का पक्ष रखने वाले धर्मोत्सव समिति के दिनेश मकवाना व अन्य पदाधिकारी पूर्व यूआईटी ट्रस्टी गयासुद्दीन, अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश मंत्री फारूख हुसैन, नगर परिषद सभापति रजनी डांगी, पार्षद पारस सिघंवी तथा नगर परिषद, यूआईटी, सिंचाई विभाग के अधिकारी पूरा समय पूरे लवाजमे के साथ मौजुद था। इधर झीलों की स्थिति का जायजा लेने आए आयुक्त के समक्ष झीलों के लिए कार्य कर रहे प्रमुख कार्यकर्ताओं ने बाहरी कह कर भला बुरा कहने तथा सभापति को चुप रहने पर झील संरक्षण समिति ने दुख व्यक्त किया। बाहरी कर चिल्लाने वाले कुछ लोगों का तो स्वयं का पिछोला में कब्जा रहा है।ै झील संरक्षण समिति सहित चांदपोल नागरिक समिति, ज्वाला जनजागृति संस्थान ने कहा कि झील क्षेत्र में परम्परागत रूप से निवास करने वाले आवासियों को रिहायशी रूप से निवास करने वाले आवासियों को रिहायशी प्रयोजनाथ्र आवास निर्माण सुधार विस्तार की अनुमति मिलनी चाहिए।
नगर परिषद मालदास स्ट्रीट में आवास विभागों को झील संरक्षण के नाम पर रूकवा देती है तो यह परिषद की समझ पर प्रश्न चिन्ह है।
तेज शंकर पालीवाल तथा भंवर ङ्क्षसह राजावत ने कहा कि परिषद का प्रयास यही रहेगा कि आयुत्त* सिवरेज व सप*ाई की वस्तुस्थिति नहीं जान सके। उन्होंने कहा कि परिषद एक संवेधानिक इकाई है उसे लोगों को आक्रोश में लाने के बजाय न्यायालय में नागरिको के हित का पक्ष रखना चाहिए था जो उसने आज तक नहीं किया।