उदयपुर। शहर की हर आवासीय बस्ती, गली, मोहल्ला, कॉलोनी में व्यावसायिक गतिविधियां धड़ल्ले से चल रही है। छोटी-छोटी दुकानें ही नहीं बड़े-बड़े कॉमर्शियल कॉम्पलेक्स, गोदाम, कारखाने तक संचालित हो रहे हैं, जिनको रोकना या सीज करना नगर निगम के बूते के बाहर है। इक्का-दुक्का कभी कोई कार्रवाई भी होती है, तो जनप्रतिनिधियों के व्यक्तिगत स्वार्थों की पूर्ति के लिए। शहर में करीब 500 से अधिक बड़े व्यावसायिक भवन है, जो आवासीय कॉलोनियों में बने हुए हैं। ऐसे में इनके खिलाफ कार्रवाई करना तो, निगम के बूते की बात नहीं, लेकिन निगम चाहे तो लैंड यूज चैंज करके व्यवसायिक स्वीकृति देकर राजस्व वसूल सकती है।
गली मोहल्लों में ही नहीं और कॉलोनियों के मुख्य मार्गों पर आवासीय भवनों में व्यवसायिक गतिविधियां संचालित हो रही है। शक्तिनगर में हर मकान के नीचे बड़े-बड़े शोरूम खुल चुके हैं। अशोकनगर मेन रोड, हिरनमगरी के सभी सैक्टर के रोड, सहेली नगर रोड, अम्बामाता, गोवर्धनविलास आदि कई ऐसे मुख्य स्थान है, जहां मकानों के नीचे या तो शोरूम बने हुए है, या आवासीय भवन व्यवसायिक कॉम्पलैक्स में तब्दील हो चुके हैं। इन इलाकों के आवासीय मकान बैंक और निजी कंपनियों को किराये पर दे दिए गए हैं। इनकी स्वीकृति तो आवासीय है, लेकिन उपयोग व्यवसायिक हो रहा है।
हो सकती है अरबों रुपए की आय:
यदि नगर निगम इस मामले को निष्पक्षता के साथ लेकर अभियान के रूप में शुरू करें, तो इन इलाकों में लैंड यूज चेंज करके निगम को अरबों रुपए के राजस्व की प्राप्ति हो सकती है। इसके लिए मौके पर ही निगम की टीम सर्वे करे और नोटिस जारी किए जाए। राज्य सरकार के भी आदेश है कि किसी भी आवासीय कॉलोनी में कोई व्यावसायिक गतिविधि होती है, तो उसको परिवर्तन करना आवश्यक है। इस आदेश के तहत पूरे मकान का लैंड यूज नहीं बदलकर व्यवसायिक हिस्से का ही लैंड यूज बदला जा सकता है।
पिछला बोर्ड भी भाजपा का था और उस समय भी आवासीय कॉलोनियों में व्यावसायिक गतिविधियों का मुद्दा उठा था, तब बोर्ड द्वारा पक्ष व विपक्ष के पार्षदों को मिलकर एक समिति गठित की गई थी, जिसने सर्वे किया और ३६० मामले चिह्नित किए। वर्तमान में इन मामले में इजाफा हो गया है और अब शहर में एक हजार से ज्यादा आवासीय भवनों में संचालित व्यवसायिक निर्माण, अवैध निर्माण स्वीकृति के विपरीत निर्माण के मामले हैं। क्रमददगारञ्ज ने इस संबंध में पार्षदों की रॉय जानी तो सभी ने इसका समर्थन करते हुए कहा कि यदि नगर निगम ऐसा कोई कदम उठाती है, तो वह स्वागत योग्य है। यह शहर के विकास में एक नया कदम होगा, क्योंकि इससे नगर निगम को अरबों रुपए की आय होगी, जो शहर के विकास में काम आएगी।
॥ऐसा बिलकुल हो सकता है। आपका सुझाव बहुत अच्छा है। बस नियमों को देखकर कौन-कौन सी जगह पर लैंड यूज चैंज किया जा सकता है और कहां नहीं हो सकता तथा कैसे-कैसे व्यवसाय के लिए स्वीकृति दी जा सकती है। यह थोड़ा देखना पड़ेगा। इस दिशा में निश्चित तौर पर कार्रवाई की जाएगी।
-हिम्मत सिंह बारहट, आयुक्त, नगर निगम
॥अगर नगर निगम इस तरह का अभियान चलाकर राजस्व वसूल करती है, तो इससे करोड़ों की आय निगम को होगी, जो शहर के विकास में काम आएगा। यह कदम स्वागत योग्य होगा। -पारस सिंघवी, अध्यक्ष, स्वास्थ समिति
नियमों में देखना पड़ेगा की कहाँ कहाँ पर लेंड यूज परिवर्तन हो सकता है । लोगों को भी अवेयर होने की आवश्यकता है यदि वे ही आवासीय में कोई व्यावसायिक गतिविध्गी कर रहे है तो उन्हें भू परिवर्तित करना चाहिए।
बोहत जल्दी अधिकारीयों से वार्ता कर इस दिशा में कोई न कोई ठोस कदम उठाएगे। ……रजनी डांगी। – महापौर नगर निगम