हमारे हिन्दू रीती रिवाज में करवा चौथ का बहुत महत्त्व हे , इस दिन सुहागिनें और सगाई हो चुकी लडकिया अपने जीवनसाथी के लिए व्रत रखती हे , और अपने जीवन साथी की सफलता , सलामती की प्रार्थना करती हे , करवा चौथ भारत के राजस्थान के साथ पंजाब , उत्तर प्रदेश , मध्य प्रदेश में मुख्य रूप से मनाया जाता हे , यह कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है ,यहाँ व्रत सुबह सूर्योदय के पहले करीब सुबह ४ बजे शुरू होकर , रात चंद्रमा के दर्शन के बाद पूर्ण होता हे , सुहागिने , सुबह से रात तक भूखी प्यासी रह कर अपने सुहाग की सलामती की दुआ करती हे और व्रत चंद्रमा के दर्शन के बाद पति की पूजा करके व्रत पूरा करती हे ,
करवा चौथ की कथा
पति की सलामती के लिए व्रत रख कर इस दिन एक कथा पड़ी जाती हे , धार्मिक किताबों के मुताबिक शाकप्रस्थपुर वेद धर्मा ब्राह्मन की विवाहिता पुत्री वीरवती ने करवा चोथ का व्रत किया था , नियमनुसार उसे चंद्रोदय के बाद व्रत पूरा कर भोजन करना था ,लेकिन उसे भूख नहीं सही गयी और व्याकुल होगई उसके भाइयों से उसकी यह हालत देखि नहीं गयी और उन्होंने पीपल की आड़ में आतिश बाजी का प्रकाश फैला कर चंद्रोदय दिखा दिया और वीरवती को भोजन करादिया , परिणाम यह हुआ के उसका पति उसी वक़्त अद्रश्य हो गया , अधीर वीरवती ने बारह महीने तक हर चतुर्थी को व्रत रखा और करवा चोथ के दिन उसकी तपस्या से वीरवती का पति फिर से प्राप्त हुआ ,