उदयपुर मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आई. वी. त्रिवेदी ने कहा कि इन कार्यशालाओं की सार्थकता तभी है जब प्रतिभागी कार्यशाला में हुए ज्ञान के आदान-प्रदान को अपने जीवन में भी उतारते हुए इसका आदान-प्रदान करें। प्रो. त्रिवेदी ऐश्वर्या कॉलेज में आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला ‘‘व्यापार एवं सूचना प्रोद्योगिकी के लिए सफलता के मंत्र’’ विषयक के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।
इस अवसर पर ऐश्वर्या रिसर्च कम्यूनीकेशन जनरल ‘‘फोकस’’ त्रैमासिक शोध पत्रिका का विमोचन भी किया गया।
तकनीकी सत्रों में हुई विस्तार पूर्वक चर्चा
इससे पूर्व कार्यशाला के दूसरे दिन पहले तकनीकी सत्र में प्रबंधन के वैश्वीकरण विषय पर इग्नू के निदेशक प्रो. नवलकिशोर ने वैश्वीकरण एवं सफलता के मूल मंत्रों पर अपना व्याख्यान देते हुए कहा कि वर्तमान प्रतिस्पधात्मक एवं व्यावसायिक युग में केवल अच्छा सुनना और पढ़ना ही पर्याप्त नहीं है वरन् प्रभावित कर पाना भी अत्यन्त आवश्यक है। वैश्वीकरण पर प्रकाष डालते हुए बताया कि हमें उन्नति एवं विकास के लिए वैश्विक बाजार के सम्भावना को ध्यान में रखकर नीति निर्माण करना चाहिये।
द्वितीय सत्र में डॉ. अजिमुदीन खान ने विभिन्न व्यावसायिक क्षेत्रों एवं उनमें आने वाली समस्याओं एवं समाधान पर प्र्रकाश डाला। उन्होंने व्यावसायिक बुद्धिमता एवं विश्लेषण के विभिन्न पहलुओं यथा अनुकूलतमता, पुर्वानुमान, मॉडलिंग एवं विश्लेषण के महत्व को विभिन्न जीवन्त व्यावसायिक उदाहरणों द्वारा व्यक्त किया। तृतीय सत्र में व्यावसायिक प्रतिष्ठानों की प्रबंधन विद्यार्थियों से अपेक्षाएं विषय पर सीनियर एच.आर. मैनेजर जे. के. लक्ष्मी सीमेन्ट, पिडवाड़ा के श्री आसिफ करीम साहिर ने कहा कि सैद्धान्तिक एवं प्रायोगिक एवं दोनों में सामंजस्य होना ही वर्तमान युग में व्यवसाय की आशा है। अपने आप को कामयाब बनाने के लिए विषय वस्तु का पूर्ण ज्ञान एवं वाक्पटुता अत्यन्त आवश्यक हैं। उन्होने समूह रूप में कार्य एवं साक्षात्कार निपुणता पर भी प्रकाश डाला।
चतुर्थ तकनीकी सत्र में श्री मधुकर दुबे ने सूचना प्रोद्योगिकी के क्षेत्र में नये आयाम क्लाउड कम्प्यूटिंग को लाभदायक माना। क्लाउड कम्प्यूटिंग को अपनाकर संसाधनों की विश्वसनीयता व गोपनीयता को बनाये रखा जा सकता है। इस तकनीक के माध्यम से लागतों में कमी लाई जा सकती है और संसाधनों का बहुआयामी उपयोग सम्भव