मनमाने दाम, फिर कैसे बढे बिक्री
डूंगरपुर, डूंगरपुर जिला जनजाति बाहुल्य क्षेत्र होने के बावजूद यदि इस जिले में मासिक शराब विक्रय का लेखा जोखा निकाला जाये तो किसी बडे शहर की तर्ज पर यहां के आंकडे दर्शाते है कि इस जिले में शराब की बिक्री आबादी के अनुपात में कई गुना अधिक विक्रय होती है। यही नहीं विगत वर्ष हुए ठेकों के बाद शराब के दामों में अंकित मूल्य सभी टेक्सो को मिलाकर होता है लेकिन जिला मुख्यालय सहित पूरे जिले में ठेकेदारों की मनमानी व आबकारी विभाग के अधिकारियों की मौन स्वीकृति के चलते प्रति बोतल २. से ४० रूपया अधिक दाम वसुले जा रहे है। और इसके अलावा राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा शराबियों के उत्पात से महिलाओं को राहत दिलाने के लिए ८ बजे बाद शराब की बिक्री पर रोक लगा दी है ऐसे इसके बावजूद अधिकारियों की मिलीभगत से मुख्य दुकान को छोडकर आसपास के ढाबो में शराब रखवाकर मुख्यमंत्री के आदेशों की जमकर धज्जियां उडाई जा रही है। इस संबंध में कई बार जागरूक नागरिको ंद्वारा विभाग को बिक्री के स्थानों के संबंध में सूचित भी किया गया है लेकिन ठेकेदारों से मधुर संबंधों के चलते कोई कार्यवाही नहीं होती। और यदि भूल से किसी शिकायत कर्ता ने अपना नाम बता दिया तो उसको इसका कोपभाजन भी बनना पडता है। जिला मुख्यालय पर मुख्य दूकानों के अलावा, ढाबों, होटलों, अवैध बियर बारों, तथा घर घर पार्सल सेवा के अलावा देशी ताडी कीे बिक्री भी किराणा की दूकानों की तरह सहजता से मिल जाती है। ऐसे में आये दिन शहर के विभिन्न इलाकों में शराबियों के आतंक से माहौल बिगडने की स्थिति आती है। इस ओर कानून व्यवस्था के नाम पर पुलिस भी छोटी मोटी कार्यवाहियां करके अपने फर्ज से इतिश्री कर लेती है। लेकिन जिस अवैध शराब की बिक्री के लिए आबकारी विभाग बनाया गया है वह केवल सांकेतिक रूप से माह में एकाध दो बडी कार्यवाही कर लेते है समाचार पत्रों के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज करवा लेते है। जब कि हकिकत में यह जिला गुजरात व मध्यप्रदेश की सीमाओं से लगा हुआ है। तथा कई सीमावर्ती इलाकों में हालात यह है कि यदि व्यक्ति राजस्थान सीमाओ ंमें खडा है तो उसकी परछाई गुजरात सीमा मे ंपडती है। और उन्ही स्थानों पर शराब के ठेकेदार अपने गौदाम बनाते है। जहां कन्टेनरों के माध्यम से शराब का जखिरा खाली किया जाता है। और इसके पश्चात छोटी छोटे पिकअपों के माध्यम से बेरोकटोक गुजरात सीमा में तस्करी हेतु ले जाया जाता है। इसके अलावा मध्यप्रदेश से जिले में अवैध कारोबारियों की अपनी समानान्तर सरकार के चलते बेरोकटोक शराब लाई जाती है जो कि पूरी तरह घटिया किस्म की होती है। तथा उसकी लागत भी कम होती है। यही नहीं यह अवैध कारोबारी सूचना के आधार पर एक बोतल से लगाकर कार्टूनबन शराब की डिलेवरी संबंधित व्यक्ति को उसके स्थान पर करते है। जिसके कारण ग्रामीण क्षेत्रों में किराणा की तरह शराब की दूकानों का प्रचलन है। जब कि अंग्रेजी शराब के अधिकृत विक्रेता द्वारा निर्धारित मूल्य से अधिक मूल्य लेना भी शराब की बिक्री में गिरावट का कारण है। हालांकि डूंगरपुर जिले में सीमावर्ती इलाको में घरों की संख्या से अधिक वहां की बिक्री बताई जाती है और यही अधिक बिक्री तस्करी कर गुजरात को भेजी जाती है।