उदयपुर . संजयलीला भंसाली की फिल्म पद्मावती पर पंगा अब पुरे देश में बड़ा रूप ले चुका है . राजस्थान में हर जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे है . हर संगठन ने फिल्म का विरोध करते हुए इसके प्रदर्शन को रोकने की मांग की है . पूर्व में राजस्थान के कई राजघरानों ने इसका विरोध किया और अपने बयान जारी करदिये . बुधवार को मेवाड़ पूर्व के राजघराने से अरविन्द सिंह मेवाड़ और लक्ष्यराज सिंह ने भी अपना बयान फेसबुक के जरिये जारी किया . जिसमे उन्होंने फिल्म का विरोध तो किया है लेकिन किसी भी तरह की बयान बाजी और तोड़ फोड़ को उचित नहीं माना .
फेसबुक और whatsapp पर अरविन्द सिंह मेवाड़ एवं लक्ष्य राज सिंह मेवाड़ के बयान आने बाद जहाँ कई लोगों ने उनका समर्थन किया वही कई पोस्ट इस पूर्व राज घराने के विरोध में भी वायरल हो रही है .
आइये देखते है मेवाड़ के पूर्व राज घरानों ने अपने बयानों में क्या कहा .
क्या कहा अरविन्द सिंह मेवाड़ ने :
मे रानिवेदन है कि इस प्रकरण को बैठकर सुलझाया जाए। इस प्रकार के रोष और आक्रामक रुख को अपनाने से कुछ नहीं होता। आक्रामक रोष अपनाने से सभी पक्षों काे हानि है। इसमें किसी की जीत है, किसी की हार है। ऐसा कोई माध्यम ढूंढा जाए कि जिससे बातचीत से इस मसले को सुलझाया जा सके। यही परिपक्व तरीका है। यह कोई मजाक नहीं। यह चित्तौड़ और राजस्थान ही नहीं, पूरे देश की नारी अस्मिता का प्रश्न है। हमारे सारे राजपूत भाई और हम खुद इस विषय पर फिल्म बनाने के विरोध में हैं, क्योंकि आप कितना भी कर लें, असलियत आप नहीं बता पाएंगे। असलियत बताएंगे तो फिल्म नहीं बनेगी। बनेगी तो बहुत ही रूखी होगी। आप जिस मकसद से फिल्म बनाना चाहते हैं, आपका मकसद पूरा नहीं होगा और बॉक्स ऑफिस में मुनाफा नहीं दिला पाएगी। आपके लिए तो ये व्यापार है। मैं चाहता हूं, आप ऐसी फिल्म बनाएं जिससे किसी समाज की भावनाएं आहत हों। पूरा समाज उमड़ा हुआ है। आज बच्चे इतिहास नहीं पढ़ते। इतिहास की पुस्तकों में से बहुत सा इतिहास निकाल दिया गया है। बड़ा दुख है, ये बच्चे इतिहास को फिल्मों के माध्यम से देखते हैं और उसी को वे पत्थर की लकीर मानते हैं। लिहाजा, बालीवुड के प्रॉड्यूसर की जिम्मेदारी है कि वह इस इस पत्थर की लकीर की जिम्मेदारी ले और ऐसा कुछ नहीं करे, जिससे युवा पीढ़ी इतिहास को गलत ढंग से ले ले और फिर वह फिल्म की कहानी काे ही सच मान ले। मैंने यह फिल्म नहीं देखी है। इसलिए दावे के साथ नहीं कह सकता, फिर भी जो कुछ देखने को मिला है, ये ऐतिहासिक तथ्यों से बहुत परे है और इस कारण ये आर्टिस्टिक लाइसेंस की परिभाषा में भी नहीं सकती है।
क्या लक्ष्यराज सिंह ने :
नमस्कार , मै लक्श्राज सिंह मेवाड़ आप सभी से मुखातिब हो रहा ही . रानी पद्मावती पे काल्पनिक फिम के विरोध में बयान बाजी करना तो बहुत आसान है , लेकिन इसका समाधान निकालना आज की सदी की सबसे बड़ी शिक्षा है . क्या इसे पवित्र विषय को एक मरोरंजन के रूप में पेश करना किसी निर्देशक की जिम्मेदाराना शैली है क्या ?मै इस फिल्म के कलाकारों से भी पूछना चाहता हूँ कि उन्होंने मर्यादा में रह कर एक सच्चे कलाकार होने का फ़र्ज़ निभाया है क्या ? क्या पैसा ही सबकुछ होता है ? अब इस वक़्त मेरे परिवार और मुझे हमारे पूर्वजन और मेवाड़ के प्रति हमारे समर्पण का प्रमाण देना पडेगा . फिल्म के प्रति मेरे ज़ज्बात को जानने का क्या जरिया गैर जिम्मेदाराना बयान बाजी , तोड़फोड़ और हाथापाई तक ही सिमित रह गया है क्या ?
मेरे दर्द को जानने का यही एक तरिका है क्या ? ऐसे किसी भी प्रकार के इतिहास के साथ खिलावाड़ का मेवाड़ बहिष्कार करता है . और करता रहेगा . इस फिल्म से जो रोष उभरा है उससे हमे एकजुट होना चाहिए , नाकि एक दुसरे की आलोचना करनी चाहिए .
हम सबका प्रयास हो कि भारत सरकार एक सख्त क़ानून बनाए और उसे लागू भी करवाए ताकि भविष्य में केवल मेवाड़ ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण भारत में मनोरंजन के नाम पर इतिहास , संस्कृति और लोगों की भवनाप्न के साथ छेड़छाड़ करने की कोई भी जुर्रत ना कर सके . यह प्रयास और एकता व्यर्थ जाती है तो इसका सर्वाधिक दुःख मुझे होना . आप सभी की एक जुटाना वाकई में काबिले तारीफ़ है . मन में बहिष्कार की उठ रही ज्वाला को हमे क़ानून के दायरे में रह कर मंजिल तक पहुचाना होगा उम्मीद करता हूँ की आप मेरे विचारों के साथ सहमत होंगे जय मेवाड़ जय भारत .