शान से निकली जगन्नाथ

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उदयपुर, आषाढ शुक्ला बीज पर निकाली जाने वाली जगन्नाथ रथयात्रा गुरूवार को उत्साह निकाली गई। रथयात्रा की शुरूआत जगदीश मंदिर की परिक्रमा के साथ हुई। इस दौरान रथयात्रा को १०८ बंदुकों की सलामी दी गई।

झांकियों से सजी-धजी इस रथयात्रा में भक्तों ने जयकारों और बैंडबाजों पर बजते भजनों की स्वरलहरियों से रथयात्रा मार्ग भक्ति के रंग में रंग गया। नगर भ्रमण पर निकले ठाकुरजी के दर्शनों के लिए मार्ग में भक्तों का सैलाब उमड पडा। ठाकुरजी के दर्शनों के लिए भक्तों ने पलक पावडें बिछा दिए। रथयात्रा का पूरे मार्ग में पुष्पवर्षा कर अपूर्व स्वागत किया गया।

पूरी में निकलने वाली जगन्नाथ स्वामी की रथयात्रा की तर्ज पर उदयपुर में भी जगदीश मंदिर से भगवान जगन्नाथ स्वामी की रथयात्रा निकाली गई। सर्वप्रथम ठाकुरजी को रथ में विराजित कराकर परिक्रमा में की गई। इस बीच मंदिर परिक्रमा में स्थित देवरियों पर रथ रूका। इसके बाद ठाकुरजी के रथ के आगे चलनेवाले हाथी को जगदीश चौक प्रागंण में उतारा गया। इसके बाद श्रद्घालुओं के साथ ठाकुरजी की प्रतिमा जगदीश चौक प्रांगण में लाकर रजत रथ में विराजित की गई। इस बीच पूरा जगदीश चौक भक्तों से अट गया तथा ठाकुरजी की एक झलक मिलते ही जैकारे गूंज उठे।

इसके बाद ठाकुरजी की आरती उतारी गई तथा २१ बंदूकों की सलामी के साथ रथयात्रा रवाना हुई। रथयात्रा शुरू होते ही एकबार वातावरण में हाथी घोडा पालकी जय कन्हैया लाल की के जैकारे गूंज उठे। इसके साथ ही ठाकुर के रथ को ाींचने के लिए ाक्तों में होड सी मच गई। मेवाडी वेशाूषा में सजे-धजे ाक्तजन जैकारे लगाते हुए रथ को ाींच रहे थे। रथयात्रा विािन्ना मार्गों से गुजरती हुई शाम को रात को वापस मंदिर पहुंची,जहां ठाकुरजी की आरती उतारी गई तथा प्रसाद वितरित किया गया। इसके बाद ठाकुरजी को मंदिर में ले जाकर विराजित किया गया।

 

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