रिपोर्ट : रफ़ीक पठान
चेहरे पर मुस्कान है। गत वर्ष के वर्षा के आंकड़ों की तुलना करें तो 23अगस्त2010 तक उदयपुरमें 588 मि.मी. वर्षा दर्ज हुई थी।जबकि इस बार 23 अगस्त तक मा़त्रा 379.6 मि.मीवर्षा ही दर्ज की गई है।इस प्रकार उदयपुर शहर में 209 मि.मी. वर्षा कम हुई है। बांसवाड़ा में 485 मि.मी. के मुकाबले इस बार 936 मि.मी. वर्षा दर्ज की गई है जब कि डूंगरपुर में 449 मि.मी. के मुकाबले 613 मि.मी. वर्षा होने से वागड़ क्षैत्रा के नदी नाले उफान पर है तथा दोनों जिलों के लगभग सभी प्रमुख जलाशय लबालब होने को है। इसी प्रकार राजसमंद जिले में गत वर्ष 23 अगस्त तक 291 मि.मी. वर्षा दर्ज की गई
थी जबकि इस वर्ष अब तक 365 मि.मी. वर्षा हो चुकी है। चित्तौड़ गढ़ जिले में
569 मि.मी. के मुकाबले 590 मि.मी. तथा प्रताप गढ़ में 1102 मि.मी. के मुकाबले
अब तक 763 मि.मी. वर्षा हो चुकी है।
दूसरी ओर लेकसिटी की लाइफ लाइन प्रमुख झीलों के जलस्तर पर दृष्टीपात करेंतो केवल बड़ी स्थित जलाशय को छोड़ कर शेष की स्थिति संतोषजनक है। गत वर्ष 23 अगस्त तक फतहसागर झील जिसकी भराव क्षमता 13 फीट है का जल स्तर -11इंच था जबकि इस बार इस झील का जलस्तर 4फीट 9 इंच पहुंच चुका है तथा यहां पर प्रायौगिक रूप से वाटर स्पोर्टस आरंभ किए गए हैं जो कि भविष्य में यहां पर्यटन को प्रोत्साहित करेंगें।इसी प्रकार 11फीट क्षमता वाली ऐतिहासिक पिछोला झील गत वर्ष 6फीट 3इंच पर थी इस बार इसका स्तर वर्तमान में 7फीट 7इंच हैं। 24 फीट भराव क्षमता वाली उदयसागर झील का जल स्तर गत वर्ष इस समय 8फीट 9इंच था जबकि इस वर्ष 15 फीट है। एशिया की 27.5फीट भराव क्षमता वाली एशिया की प्रथम मानवकृत झील जयसमंद
का जल स्तर गत वर्ष 23अगस्त को-2.72 था जबकि इस बार .005इंच हैं। बड़ी स्थित जलाशय इस क्षैत्रा का एक मात्रा ऐसा जलाशय है जिसमें गत वर्ष की अपेक्षा इस वर्ष पानी की कम आवक हुई है।गत 23 अगस्त 2010 को इस झील का जल स्तर 32 फीट भराव क्षमता के मुकाबले 7 फीट 8इंच था जबकि इस बार यह झील अब तक 1फीट 4इंच जल राशि का ही इजाफा कर पाई हैं।