उदयपुर। नगर के जन संगठनों की सक्रियता तथा जिला कलेक्टर की संवेदनशीलता के चलते हाथीपोल थाने में गैेर जमानती धाराआें में प्राथमिकी दर्ज होने तथा आरोपी डॉक्टर सुरेश गोयल की गिरफ्तारी के भय से आरएनटी मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने डॉक्टर विभा के परिवार पर दबाव डालकर समझौता कर लिया। समझौते में डॉक्टर सुरेश गोयल ने डॉक्टर विभा से माफी मांग ली तथा भविष्य में उन्हें कोई नुकसान न पहुंचाने का वादा किया। दूसरी तरफ आंदोलनरत जन संगठनों ने इस घटना को लीपापोती करने तथा विभा द्वारा जल्दबाजी में लिया गया फैसला बताया है। सुनने में आया है कि इस बात के लिए जन संगठनों के नेताओं ने डॉक्टर विभा को फटकारा भी है।
जन संगठनों के प्रवक्ता डी एस पालीवाल ने बताया कि किसी भी मसले में पीडि़ता से आरोपी चाहे माफी मांग ले तो अपराध समाप्त नहीं हो जाता। अत: पुलिस को अपने स्तर पर कार्यवाही जारी रखनी चाहिये तथा पीडि़ता के बयानों को पर्याप्त मानते हुए एेसी कार्यवाही करनी चाहिये, जिससे वह नजीर बने। उन्होंने बताया कि डॉक्टर विभा को दबाने के लिए प्रशासन ने मिली भगत कर रेजिडेन्ट एेसोसिएशन के मार्फत उनके विरूद्घ झूठी शिकायतें करवाई और अब समझौते में भी उन शिकायतों का हवाला दिया गया और शिकायतकर्ता को भी उसमें सम्मिलित किया गया। कुल मिलाकर वे सभी लोग भी समझौते में सम्मिलित किए गये जो डॉक्टर विभा पर दबाव डालने में शरीक थे साफ है कि इसमें सभी की मिली भगत है। आश्चर्य जनक यह है कि कार्यस्थल पर महिला अत्याचार रोकथाम के लिए बनी कमेटी ने अभी तक कोई रिपोर्ट नहीे दी जबकि डॉक्टर चन्द्रा माथुर स्वयं समझौता वार्ता में उपस्थित थी, जिससे स्पष्ट होता है कि उन्होंने प्रशासन के हाथ में खेलते हुए डॉक्टर विभा को न्याय दिलाने के लिए कोई प्रभावशाली भूमिका नहीं निभाई। जानकारी यह भी मिली है कि इस समिति को महिला अत्याचारों के कानून की कोई समझ भी नहीं है। जानकारों का यह भी कहना है कि इस कमेटी में एक सदस्य तो बाल चिकित्सा विभाग के वरिष्ठ डॉक्टर की पत्नी है और उनके कहने से ही उक्त समिति ने अब तक कोई जांच नहीं की है। वहीं लीपापोती वाली प्रशासनिक रिपोर्ट को रेजिडेन्ट एसोसिएशन द्वारा प्रेस को दिलाना भी उनकी प्रशासन से मिली भगत को साबित करता है जबकि उनको अपनी ही साथी रेजिडेन्ट का साथ देना चाहिये था। रेजिडेन्ट्स को चाहिये कि एेसे नेतृत्व को तत्काल हटाकर सही नेतृत्व में रेजिडेन्ट एेसोसिएशन का पुनर्गठन करें।
स्मरण रहे कि डॉक्टर विभा के मामले में नगर के अनेको जन संगठनों ने सड़क पर उतरकर उन्हे न्याय दिलाने के लिये अभियान चलाया था। साथ ही जन संगठनों ने सार्वजनिक चिकित्सालय में ऊपर से नीचे तक व्याप्त भ्रष्टाचार की तरफ भी उंगली उठाना प्रारंभ कर दिया था, जिससे डॉक्टर कौशिक ने भी मसले को निपटाने में जल्दबाजी दिखाई।