उदयपुर, नगर परिषद द्वारा सरकारी भूमि पर कब्जा हटाने के लिए मंगवाया गया जाब्ता एक प्रभावी फोन आने से सभापति द्वारा पुन: लौटा दिया गया। और कार्यवाही के नियमों का हवाला देकर स्थगित कर दी । पूर्व आईएएल इन्द्र ङ्क्षसह कावडिया को राज्य सरकार ने अम्बावग$ढ नयी पुलिया के पास दो हजार स्क्वायर प*ीट जमीन अॅलाट की थी। इन्द्र ङ्क्षसह ने अलाट हुई दो हजार स्क्वायर प*ीट जमीन के पास और दो हजार स्क्वायर प*ीट जमीन पर अवैध कब्जा कर बाउण्ड्रीवाल बना कर पिछले कई महिनों से नगर परिषद में उन्हें अलोट करने का आवेदन दे रखा था जो लम्बित था। आज अचानक दिन में सभापति रजनी डांगी द्वारा प्रशासनिक समिति की बैठक बुला कर इस मामले में सबसे राय मांगी कि क्या किया जाना चाहिए अलोट कर दे या कब्जा हटाने की कार्यवाही करें जो कि पहले से तय था कि सरकारी जमीन से कब्जा हटाना है इसलिए अतिक्रमण निरोधी दस्ता, जेसीबी आदि सभी परिष्द प्रांगण में तैयार खडे थे। जैसे ही सभी समिति अध्यक्ष ने एक राय से तोडने की हामी भर कर बाहर आये तभी सभापति के पास एक प्रभावी कॉल आयी और सारी कार्यवाही ज्यो की त्यों रूक गयी। और सभापति यह कहते हुए पिछे हट गयी कि इस मामले में नोटिस या अन्य नियमों के अंतर्गत कार्यवाही की जाएगी। जबकि इससे पहले सभापति ने नगर परिषद आयुत्त* एस.एन.आचार्य को उत्त* कब्जा हटाने की कार्यवाही करने के लिए कहा था तो आयुत्त* ने इतनी जल्दी या बिना नोटिस के कार्यवाही करने में असमर्थता जतायी तब सभापति ने खुद ही निर्णय लिया कि कोई बात नहीं कब्जा हटाने का अधिकार मेरे पास है में हटवा दंूगी। पि*र ऐसा क्या हुआ कि कार्यवाही अचानक रूक गयी। पक्ष विपक्ष के पार्षद इसको कटारिया की जागरण यात्रा रद्द होने को लेकर भी देख रही है। लेकिन वजह कुछ भी हो घटनाक्रम पर सवाल जरूर खडे करती है कि जो मामला पिछले छह महिनों से लम्बित था उस पर अचानक आनन फानन में प्रशासनिक समिति की बैठक बुला कर तोडने का निर्णय क्यों लिया गया और पि*र ऐसा किसका प्रभावी प*ोन आया कि कार्यवाही ऐन वत्त* पर रोक दी गयी।