उदयपुर, हाईकोर्ट के आदेश के बाद कलेक्टर के बार बार आदेश निकाले जाने के बावजूद शहर के नगर निकाय आयड नदी को लेकर गंभीर नहीं है। न तो उन्होंने आयड नदी को प्रदूषण मुक्त करने के कोई कदम उठाये ना ही अतिक्रमण व अवेध कब्जो को हटाने की कार्यवाही की।
आयड नदी में प्रदूषण व अवैध कब्जों को लेकर हाईकोर्ट या जिला कलक्टर चाहे कितने ही ङ्क्षचतित हो लेकिन शहर के निकाय यूआईटी, नगर परिषद, जल संसाधन विभाग जरा भी गंभीर नहीं। आयड नदी राष्ट्रीय नदी योजना में शामिल करने के लिए कार्यवाही भी चल रही है। इसी के चलते यह बात कई बार सामने आयी है कि आयड नदी के पैटा में बडे पैमाने पर अवैध कब्जे हो गये है और इनको हटाये बिना नदी का उद्घार संभव नहीं। आयड नदी में अवैध कब्जों की सूची यूआईटी ने बना ली लेकिन इनको हटाये जाने की कार्यवाही अभी तक नहीं हुई।
पिछले वर्ष यूआईटी ने सर्वे कर नदी पेटे में १७७ कब्जे चिन्हित किये थे। इनमे से यूआईटी और जल संसाधन विभाग ने संयुक्त रूप से कार्यवाही कर गत वर्ष अभियान चलाकर शहर के बाहर के कुछ कब्जे और बाउण्ड्रीवाल जरूर हटवाई थी लेकिन शहरी सीमा शुरू होते ही अभियान को बंद कर दिया गया। अधिकारियों ने इस पर बारिश व अन्य का बहाना बना लिया बारीश गये भी महिनो हो गये लेकिन कब्जे की कार्यवाही शुरू नहीं हो पायी।
जिला कलेक्टर ने कुछ दिन पूर्व समीक्षा बैठक में यूआटी अधिकारियों को कब्जे हटाने के आदेश दिये थे और यूआईटी के अधिकारियों ने जल्द ही कब्जे हटाने का वादा किया था लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई कार्य नहीं हो पाया। हाईकोर्ट के आदेश का भी कोई असर नहीं हो रहा । नगर परिषद ने आयड नदी किनारे जगह जगह कचरा नहीं डालने के बोर्ड लगा रखे है लेकिन इस चेतावनी का कोई असर नहीं दिख रहा। आयड नदी पहले की तरह गंदगी से अटी पडी है।
प्रशासन के लिए इसको साफ करना एक बडी चुनौति है। प्रशासन आयडनदी की डीवीआर बनाने का निर्णय ले चुका है कंसल्टेट से डीपीआर बनाने की जिम्मेदारी हो गयी है। यूआईटी अधिकारियों के अनुसार आयड नदी को संरक्षण को संरक्षण की योजना के संबंध कागजी कार्यवाही जल्द से कर इसका प्रस्ताव भेजा जायेगा।