विद्यापीठ स्थापना दिवस पर ‘‘समाज विभूति व ‘‘उत्कृष्ट सेवा सम्मान से नवाजा
उदयपुर मशहूर थियेटर अभिनेत्री नादिरा बब्बर ने कहा कि जिस तरह कहानी के बिना नाटक की कामयाबी सम्भव नहीं होती है , उसी तरह अच्छे समाज के निर्माण की जिम्मेदारी में शिक्षा की भागीदारी महत्वपूर्ण है, कयोंकि नाटक दर्शक के लिए किया जाता है स्वयं के लिए नहीं, यदि नाटक से कहानी गायब हो जायेगी तो उसकी कामयाबी मुश्किल है, उसी तरह देश ओर समाज को आगे बढाने हेतु मूल्यपरक शिक्षा की जरूरत हैं । यह मूल्यचपरक शिक्षा हमारे युवाओं को मिलनी चाहिए, तभी शिक्षित तथा सभ्य समाज का निर्माण होगा । वे बुधवार को जनार्दन रॉय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के प्रतापनगर स्थित कम्प्यूटर आइटी सभागार में विद्यापीठ के 77वें स्थापना दिवस पर बतोर मुख्य अतिथि बोल रही थी ।
नादिरा जी ने जोर देकर कहा थियेटर के लिये अब भी सम्भावनाएॅ मरी नहीं है। टीवी धारावाहिकों और फिल्मों के लिये आज भी नाटक परफेक्ट नर्सरी हैं । ये तो कलाकार को ही तय करना है कि वह किस दिशा में जाना चाहता है। उन्होनंे कहा यदि मन की सच्चाई व समर्पण भाव से कार्य करे तो युवा वर्ग थियेटर से जुडकर फिल्मी दुनिया में भी जा सकता हैं । यदि वहॉ उसे जगह ना मिले तो टीवी धारावाहिकों में तो काम मिलेगा ही । यह बात सच है कि रंगमंच में पैसा कम है।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में ध्वजारोहण किया गया, अतिथियों से मॉच सरस्वती की तस्वीर पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्वलन किया । संस्था, गीत कुम्भा कला केन्द्र के कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया ।
मूल्य बोध के लिये हुई स्थापना –
स्थापना दिवस समारोह का शुभारम्भ करते हुए कुलाधिपति प्रो. भवानी शंकर गर्ग ने कहा कि स्व. नागर ने साक्षरता, बेहतर शिक्षा तथा मूल्य बोध के लिये विद्यापीठ की स्थापना की । वे शिक्षा, स्ततंत्रता को लोकतंत्र के लिये जरूरी मानते थे। उन्होने बताया कि शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति को साक्षर एवं प्रबुद्ध बनाने के लिये जीविकोपार्जन करने के लिये तैयार करना था । लेकिन वास्तविक उद्देश्य मनुष्य के सभी पहलुओं से व्यापक बनाना और विस्तृत करना था ।
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योजनाओं का क्रियान्वयन कर चुकाये ऋण
प्रख्यात न्यूरो सर्जन डॉ. अनिरूद्ध पुरोहित ने कहा कि आदर्श, ममत्व, पितृत्व, मातृत्व तथा सहनशीलता के सभी गुण हमारे भारतीयों में है । जन्नु भाई ने जो योजनाएॅ बनाई थी उसके क्रियान्वयन को लेकर कार्यकर्ताओं को मुस्तेदी अपनानी चाहिये तभी गुरू शिष्य परम्परा के तहत हम जन्नु भाई का ऋण अदा कर सकेंगे। जन्नु भाई को ऐसे ही कुल पुत्रों से आस थी जो ंसस्था को समाजहित में रहते हुए अपनी जिम्मेदारी निभाये ।
सभ्यता व संस्कृति का वाहक है राजस्थान
सुप्रसिद्ध कवि पण्डित नरेन्द्र मिश्र ने कहा कि राजस्थान के कण कण में त्याग, तपस्या , बलिदान, गीत संगीत, भाषा, लोक कथाए, इतिहास, रचा बसा है। आज हमें पाश्चात्य संस्कृति को छोडकर हमारी भारतीय संस्कृति को अपनाना होगा ।
हमें आत्म चिन्तन करना है-
अतिथियों का स्वागत करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस सारंगदेवोत ने बताया कि यह दिवस बीते वर्षो में किये गए कार्यो का मूल्यांकन तथा नवीन दायित्व बोध का है और हमारी भूमिका को फिर से परिभाषित करने का है। संस्थापक जन्नु भाई का सम्पूर्ण ग्रामीण समुदाय के स्थान का जो सपना था उसको आज हमें पूरा करना है। साथ ही प्रोढ शिक्षा, महिला एवं बाल शिक्षा, आंगनवाडी, जनसंख्या शिक्षा, सामाजिक सरोकार, पर्यावरण तथा ग्रामीण समुदाय के लिये रोजगारोन्मुखी कार्यो का लाभ ग्रामीण समुदाय को देना है।
अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए पूर्व आयकर आयुक्त एस.सी पारीख ने कहा कि विद्यापीठ की नई पीढी ने जन शिक्षण द्वारा समुचे मेवाड के ग्रामीण समुदाय के काम हाथ में लिये है उन्हें पूर्ण करना है तभी पण्डित नागर का सपना पूरा होगा। विशिष्ट अतिथि राजीव गॉधी जनजाति विश्वविद्यालय के कुलपति टी.सी डामोर, कुल प्रमुख भॅवर लाल गुर्जर ने भी विचार व्यक्त किये । चांसलर संदेश का वाचन डॉ0 लक्ष्मी नारायण नन्दवाना ने किया । कार्यक्रम का संचालन डॉ. हीना खान ने किया । धन्यवाद पीठ स्तरीय डॉ. एस.के. मिश्रा ने दिया ।
समाज विभूति सम्मान तथा उत्कृष्ट सेवा सम्मान से नवाजा
कार्यक्रम के दौरान कुलाधिपति प्रो. गर्ग, कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने समाज विभूति सम्मान श्रीमती नादिरा बब्बर, प्रो. के.के वशिष्ट, कीर्ति डामोर, डॉ0 अनिरूद्ध पुरोहित, कवि पण्डित नरेन्द्र मिश्र, एम्पायर रघुवीर सिंह राठौड तथा चमन सिंह को प्रशस्ति पत्र,11000/- का चैक, तथा शॉल तथा उपरणा से नवाजा गया । इसी तरह शेष कार्यकर्ता रतन सिंह, हिरालाल चौबीसा, डॉ. देवेन्द्र आमेटा, डॉ. सुनिता सिंह, श्रीमती रंजना अग्रवाल और रजिस्ट्रार डॉ. प्रकाश शर्मा को को प्रशस्ति पत्र, 5000/- का चैक, तथा शॉल तथा उपरणा से नवाजा गया ।